पहला सवाल आपका होगा की मेरी बात क्यू सुने? में हूँ कान?
मेरा नाम अभिनव है - IIT की तैयारी की थी, लेकिन IIT में हुआ नहीं, तो VIT से १७ बैक्लॉग क्लीर करने के बाद ग्रैजूएट किया - उसके बाद 50 लाख सालाना की नौकरी शुरू की - जो इंडिया भी बोहोत कम लोगों को भाग से मिलता है। मुझे Masters करने का शौख था, तो सब चोर के Boston University से MS Computer Science स्टार्ट किया। मैं इस बात का सबूत हूं कि कोई भी असफलता अंतिम नहीं होती।
२०१७ में मैं मुंबई से पटना गया था IIT-JEE कि पढ़ाई करने के लिए। लोग कोटा और दिल्ली जाते है, और में यह पटना जा रहा था - बक्सर, अररिया के तक लोगों को समझ नहीं आया आख़िर मैं पटना क्यू आया। इसका जवाब आसान था - मुंबई में में बोहोत डिस्ट्रैक्टेड (यानी विचिलिट) रहता - क्यूँकि इधर दोस्ती बनती, पार्टियाँ होती वगेरा वगेरा। पर दिल के कुछ कोने में मुझे लगता है असली कारण था की में MH-CET ना दूँ - क्यूँकि मुझे बस IIT निकलना है - NIT नहीं, VIT नहीं, और मुंबई के घिसे पिटे लोकल कॉलेज तो हरगिज़ नहीं।
IIT में हर साल सैकड़ों लाखों बच्चे इग्ज़ैम देने बैठते हैं। उन लाखों बचों में से, पहले १० लाख को IIT में जाना है, दूसरे ९० लाख को कोई NIT भी मिल जाए तो चलेगा, और बाक़ियों को घंटा फ़र्क़ नहीं पड़ता IIT में हो या ITI में - मामला पेट भरने का है।
सब बाछे जो IIT कि तैयारी करते है वो वही दो तीन शर्मा और वर्मा सिरों की किताबें पढ़ते है - ज़्यादा तेज़ी दिखानी है तो इरोदोव और क्रोतोव - NCERT भई कान ही पढ़ता है। वही अमन गोयल के ब्लोग्स, खान सिर के शॉर्ट्स, कभी याद आया तो कोई YouTube पे पढ़ाई लिखाई का भी पढ़ लिया है ना।
अब देखो, इतने बाछे इग्ज़ैम दे रहे है - जायज़ है सबका तो एंट्री नहीं ही होगा। अब IIT ना निकलने पर, वही ४-६ लोग बोलेंगे “कोई नहीं बेटा, स्टीव जाब्ज़ भी तो IIT नहीं गए थे”।
मेरा भी कुछ ऐसा ही सफ़र था - पहले दसवी से ही IIT के बड़े सपने बनाए (IIT मुंबई का इन्फ़िनिटी कॉरिडर का फ़ोटो तक लगाया था), फिर पढ़ाई के नाम पे Quora चलाया, समझ आया कि IIT तो शायद ना निकले, NIT और BITS भी चलता है - JEE माइनस एकदम वाहियात गया, और BITS में पिलानी का कम्प्यूटर साइयन्स नहीं मिला (शायद फ़ार्मसी या एकनामिक्स मिल रहा था - डोनो में ज़्यादा रुचि नहीं थी उसस वक्त)। आख़री में, VIT में जाके, चौथे या पाँचवें कैटेगॉरी में कम्प्यूटर साइयन्स मिला (VIT में कैटेगॉरी के हिसाब से पैसे लगते है, और कैटेगॉरी रैंक के हिसाब से बिकती - मेरा मतलब - मिलती है)।
बोरिया बिस्तर बांध के में निकलने के लिए तैयार होगाय - कुछ दोस्तनो का मेसरा में हुआ, कुछ का IIT पटना में, १०-२० लोगों ने जान पहचान में ड्रॉप लिया - मेने भी सोचा ले लेता हूँ ड्रॉप, पर दिल में उतनी शमता नहीं थी की एक और साल बोरिंग रोड, पटना के चक्कर लगाऊँ।
खुद के परिस्थिति के लिए तुम खुद उत्तरदायी हो
तुम्हारा IIT में ना होना आरक्षण या कोचिंग या किसी लड़का/लड़की की गलती नहीं थी - ये तुम्हारी ग़लती थी, इसको जानो, इस्स दर्द को महसूस करो, और दिल में बांध के रखलो। ज़िंदगी में बोहोत असफलता देखी है मेने - कॉलेज में १५-१७ बैक्लॉग लगी थी मेरी - वो भी VIT से - क्यों? क्यूँकि मेने अपनी ग़लतियों के लिए अपने अलावा सबको दोषी ठहराया।
सबसे पहले, जो भी आपको दिलासा देते वक्त बोले “अरे बेटा इस्स बार का पेपर टफ़ था”, उनको बोलो, “नहीं, मेने अछी तैयारी नहीं की”। ये करने से आपका फ़्यूचर आपके हाथ में फिरसे होजाएगा।
IIT के बिना ज़िंदगी अधूरी नहीं है।
IIT बिना किया आप IIT से ऊपर निकल सकते है - बस मेहनत का खेल है। ५-१० ऐसे कमपनियाँ है इंडिया में जो सिर्फ़ IIT के स्टूडेंट्स को हायर करती हैं - बस ५-१०, और ये कुछ ऐसी ख़ास कम्पनीज़ नहीं है जाह से आप बोहोत सीखोगे या बोहोत कमाओगे। USA, सिंगपॉर या दक्षिण कोरी से डिरेक्ट जॉब IIT से मिलना आसान है (सैमसंग, गूगल आदि में), लेकिन Google, Amazon, Facebook ये सारे कोंपनियों में बिना IIT के जॉब मिलना मुश्किल नहीं है। २०२३ में वो ५-१० कोंपनियाँ भी शायद अब IIT का requirement नहीं रखती। Masters के लिए हारवर्ड और प्रिन्स्टेन में जाना मुश्किल नहीं, बस GPA, projects और internship का खेल है। मेरे कई दोस्त VIT से UCLA, USC, NYU, Princeton, Columbia जैसे कॉलेज में पढ़ रहे है। अब ये सब दिलासा वाली बात हमने बोहोत कर्ली, अगर तुम्हें अभी भी लगता है कि IIT के बिना तुम्हारा कोई future नहीं तो तुम बेवक़ूफ़ हो और अपने कोचिंग के टीचर के बेवज़ा भक्त हो - उन्हें क्या पता असली दुनिया में क्या चलता है और क्या नहीं - पिछले ३६-४० साल से वो लोग बस कोचिंग पढ़ाते हैं। IIT में level of education थोड़ा ज़्यादा होगा average से, और शायद आपके आस पास बचे भी थोड़े better हों, लेकिन इतना भी नहीं है यार, १०-२०% better होगा।
अंग्रेज़ी सुधारो
चलो अब असली मुद्दे पे आते है। सबसे पहले - अंग्रेज़ी सुधारो। सारे एक किताब अंग्रेज़ी में लिखे है - चाहे UPSC करो या फिर प्राइवट नौकरी। सबसे पहले अंग्रेज़ी सुधारो। खूब किताबें पढ़ो - किसी भी प्रकार के किताबें, लेकिन पढ़ो। YouTube पे काफ़ी अंग्रेज़ी वाले यूटूबेरस है, उनके विडीओज़ देखो। कोई भी प्रकार के विडीओज़ हो, बस देखो। इंडिया में भी दक्षिण भारत में चेन्नई, बंगलोरे, हैदराबाद सब में आपको अंग्रेज़ी की ज़रूरत पड़ेगी। आपके co-workers अंग्रेज़ी में बात करेंगे, programming अंग्रेज़ी में होगी, एक youtube tutorial प्रोग्रैमिंग के सब इंग्लिश में होंगे (हिंदी में भी काफे एक विडीओज़ आपको मिलेंगे, पर अंग्रेज़ी से आपके रास्ते बोहोत खुल जाएँगे)।
कोडिंग शुरू करो
HTML नामक एक “language” है - उसे लो और एक दो websites बनाओ, फिर Python सीखो, ऐसे बोहोत resources है इंटर्नेट पे, वो सब पढ़ो, और कोडिंग शुरू कार्डों। जॉब-वोब कल सोचना, आज बस कोडिंग शुरू करो, और दिल से करो। कोडिंग एक कला है, इसकी इज़्ज़त कर। मुझे तनय प्रताप्प जैसे लोग पसंद नहीं, लेकिन उनके यूटूब विडीओ देखना शुरू कार्डों, धीरे धीरे बोहोत सीख जाओगे।
Networking करना मत भूलना
Clubs होते है कॉलेज में (पार्टी वाले नहीं), ये क्लब्ज़ में लोग अपने रुचि के हिसाब से काम करते है - robotics, trekking, films, coding सबका क्लब होता है। अब ये सारे क्लबों में बोहोत नालायक बेरोज़गार “सीन्यर” भी होते है - पॉलिटिक्स को इग्नोर करो और काम पे ध्यान डो।
इंटर्न्शिप धुंडो!
ISRO, DRDO, IIT, IISc, NIT - ये सारे नामक जगहों पे इंटर्न्शिप धुंडो ताकि तुम्हारा CV काफ़ी सही लगेगा, फिर certificates करना शुरू करना - CCNA (२४००० का है), Google cloud Cybersec certificate (free), Udacity C++ (scholarship मिल जाएगा), ये सब करो। हाथ पेर मारो, कुछ ना कुछ हो जाएगा।
कसरत भी कर लेना
दौड़ भाग करना ज़रूरी है, कॉलेज के फ़्री जिम में जाओ और कसरत करो। रोज़ नहाओ - नालायकों वाले काम मत करना। साफ़ कपड़े पहनो : खुद से रहना सीखो।
अब में ठक गया लिखते लिखते, बस बोहोत हुआ। जाओ मस्ती करो अभी के लिए।